मेवाती
हाली बेल, को टेम चलोगो,
माटी के घर वालो टेम चलोगो!
शुबह-शुबह जब बेल जुडे हा,
चिडीया चहचहाके गीत गावे ही,
खेतन मे जब बोले हा मोर-पपीहा
वा दोर का सब लोग सही हा!
जब डोली पे बेठो कगगा
कां का चिल्लावे हो,
माई- ताई नू कहवे ही,
कोई रिसतेदार आवेगो!
हुक्का बेठक की बात अलग ही,
मोहब्बत भाईचारे की अलख जगे ही!
देर रात तक बेठक जब चले ही,
बात-बरहेडा की मीठी कहानी,
हर बेठक- बंगला मे,
सुरीली ही तुकताण चले ही!
रिसते नातो की जब रीत अलग ही,
ताऊ, चाचा, दादा वाली प्रीत चले ही!
हर दिल सू अपणापन की महक उठे ही,
छोरी-छारी सब मिलके नी,
झूल पे सावण के गीत गावे ही!
हुवे हा जब बियाह- चाला,
बूढी बढी सब मिलके नी,
बनवारा सब गावे ही! सो
मेला सो लग जावे हो,
जब बरात गांव मे आवे ही!
फूफा हे जब ना बिठावे हे,
नोशा की कार मे
फूफ रूश जावे करणी-कार मे
आवे हो जब नानी गांव सू,
बालक खुशी मे नाचे हा,
नाना- मामा जब आवे हा दहलीज,
घर आंगन मे फले ही खुशी,
बणे हा मुर्गा और खीर!
Comments
Post a Comment