बखत की करवट
टेम बखत ने कुछ यु करवट बदली हे, गरीब सोरा हा भूखा, पडोस मे दावत चलरी हे! टेम बखत अब ऐसे आगो, गरीब, गुरबान के सब हक हे खागो! दहेज मे दुनिया कार क्रेटा लेरी हे, गरीब की बेटी अपने घर मे सिमटी रोरी हे, खेत बेच के ब्याह करणो, एक मजबूर बाप की मजबूरी हे, आज बिको खेत वाको, कल तेरी बारी हे, ई दहेज सगो ना काईको, याने दुनिया मारी हे! छोड दियो दहेज लेणो देणो, बस यही हे नसीर को कहणो..!